IIT Baba: महाकुंभ में चर्चा का केंद्र, इंजीनियर बाबा की असाधारण यात्रा, बाबा के पास पैसे की कोई कमी नहीं.. क्यों बने सन्यासी एयरोस्पेस इंजनीयर अभय सिंह, परिवार ने कहा , पागल हो गया है|


महाकुंभ में चर्चा का केंद्र: इंजीनियर बाबा की असाधारण यात्रा
महाकुंभ 2025 का विशाल आयोजन हर बार की तरह आध्यात्मिकता, आस्था और सनातन परंपराओं का संगम है। लेकिन इस बार एक व्यक्ति सभी का ध्यान खींच रहा है—इंजीनियर बाबा। उनका असली नाम अभय है, और उनकी यात्रा उतनी ही असाधारण है जितनी उनकी पहचान। एक समय के सफल एयरोस्पेस इंजीनियर और आईआईटी मुंबई के स्नातक, अभय ने भौतिक संसार की चकाचौंध छोड़कर आत्मज्ञान की राह चुनी।
यह कहानी केवल एक व्यक्ति की नहीं है; यह उस संघर्ष और खोज का प्रतीक है, जो हर इंसान को अपने जीवन के अर्थ और उद्देश्य की तलाश में करना पड़ता है। अभय, जो अब इंजीनियर बाबा के नाम से जाने जाते हैं, विज्ञान और आध्यात्म को जोड़ते हुए जीवन की गहरी समझ प्रदान कर रहे हैं। उनकी यात्रा न केवल प्रेरणादायक है बल्कि यह सवाल खड़ा करती है कि क्या भौतिक उपलब्धियां ही जीवन का अंतिम लक्ष्य हैं।

इंजीनियर बाबा: विज्ञान से आध्यात्म तक की यात्रा
अभय का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता ने शिक्षा को प्राथमिकता दी और उनके उज्जवल भविष्य के लिए हर संभव प्रयास किया। पढ़ाई में बचपन से ही अव्वल रहे अभय ने आईआईटी मुंबई से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। उनकी मेहनत और प्रतिभा के बल पर उन्हें बड़ी कंपनियों से आकर्षक नौकरी के प्रस्ताव मिले।


कई लोग इसे सफलता की पराकाष्ठा मानते, लेकिन अभय के लिए यह केवल एक पड़ाव था। उनके मन में हमेशा यह सवाल उठता था
"क्या यह सब है? क्या केवल पैसे कमाना और भौतिक सुख पाना ही जीवन का उद्देश्य है?"
इन्हीं सवालों के जवाब की तलाश उन्हें विज्ञान से आध्यात्म तक ले गई।
भौतिकता से परे की खोज

अपनी नौकरी के दौरान, अभय ने महसूस किया कि भौतिक उपलब्धियों के बावजूद उनके अंदर एक खालीपन है। उन्होंने फिजिक्स पढ़ाने, फोटोग्राफी करने और ट्रैवलिंग का आनंद लिया, लेकिन यह सब अस्थायी था। एक दिन उन्होंने भगवद गीता और उपनिषदों जैसे ग्रंथों का अध्ययन करना शुरू किया।
इन ग्रंथों में उन्होंने आत्मा, ब्रह्मांड, और जीवन के गहरे रहस्यों को समझने का प्रयास किया। धीरे-धीरे, उन्होंने महसूस किया कि जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक सुखों तक सीमित नहीं है।

पंचकोष का अध्ययन
अभय ने पंचकोष की अवधारणा का गहन अध्ययन किया। पंचकोष, जो मानव अस्तित्व के पांच स्तरों—अन्नमय कोष (शारीरिक स्तर), प्राणमय कोष (ऊर्जा स्तर), मनोमय कोष (मानसिक स्तर), विज्ञानमय कोष (बुद्धि स्तर), और आनंदमय कोष (आध्यात्मिक स्तर)—का वर्णन करता है, ने उन्हें यह समझाया कि असली सुख शारीरिक और मानसिक सीमाओं से परे है।

परिवार और समाज की प्रतिक्रिया
जब अभय ने अपने करियर और आरामदायक जीवन को त्यागकर संन्यास लेने का निर्णय लिया, तो उनके परिवार और समाज ने इसे "पागलपन" कहा। उनके माता-पिता और करीबी दोस्त उनके इस कदम से हैरान थे।

उनके परिवार ने कहा:
"तुम्हारे पास सब कुछ है—अच्छी नौकरी, पैसा, प्रतिष्ठा। फिर क्यों यह सब छोड़कर साधु बन रहे हो?"
"मैं बाहरी दुनिया में सब कुछ हासिल कर सकता हूं, लेकिन अगर मैं अपने भीतर शांति नहीं पा सका, तो वह सब व्यर्थ है।"
महाकुंभ में विज्ञान और आध्यात्म का संगम
"जिस तरह भौतिक विज्ञान ऊर्जा और पदार्थ के नियमों को समझाता है, उसी तरह आध्यात्मिकता चेतना और आत्मा की ऊर्जा का अध्ययन करती है।"

संदेश: सच्ची खुशी आत्मा की खोज में है
"सच्चा सुख न तो धन में है, न ही प्रसिद्धि में। आत्मा की खोज और आत्मज्ञान ही जीवन का वास्तविक उद्देश्य है।"

लेकिन अभय ने आत्मविश्वास के साथ जवाब दिया:
समाज की आलोचना और परिवार की चिंता के बावजूद, अभय ने अपनी साधना जारी रखी।
अब महाकुंभ में इंजीनियर बाबा अपनी उपस्थिति से सभी को चकित कर रहे हैं। उनके प्रवचन और शिक्षाएं गीता, उपनिषद, और आधुनिक विज्ञान के विचारों का अनूठा मिश्रण हैं।
इंजीनियर बाबा के अनुसार, विज्ञान और आध्यात्मिकता विरोधाभासी नहीं हैं। जहां विज्ञान बाहरी दुनिया के रहस्यों को सुलझाने का प्रयास करता है, वहीं आध्यात्म आत्मा और ब्रह्मांड के गहरे अर्थ को समझने का मार्ग दिखाता है।
उदाहरण के तौर पर, वे ब्रह्मांड की संरचना और मानव मस्तिष्क की क्षमता को जोड़ते हुए बताते हैं कि:
उनके अनुसार, पंचकोष के सिद्धांत और क्वांटम भौतिकी के विचार एक-दूसरे के पूरक हैं।
इंजीनियर बाबा का मानना है कि आज का मानव बाहरी भौतिकताओं में खो गया है। हम पैसा, शोहरत और तकनीक के पीछे भागते हैं, लेकिन भीतर के खालीपन को भरने में असफल रहते हैं।
उनका संदेश है:महाकुंभ में उनके प्रवचन सादगी     और गहराई से भरे होते हैं। वे बताते हैं कि कैसे ध्यान, योग, और आध्यात्मिक ग्रंथों का अध्ययन मनुष्य को आंतरिक शांति की ओर ले जा सकता है।
विज्ञान और आध्यात्म का मेल
प्रेरणा का स्रोत
इंजीनियर बाबा की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो भौतिक सफलता के बावजूद अधूरेपन का अनुभव करते हैं। उनकी यात्रा यह सिखाती है कि जीवन में सच्ची संतुष्टि केवल आत्मा की गहराई में झांकने से मिल सकती है।

उनकी यह यात्रा हमें इन सवालों पर विचार करने के लिए प्रेरित करती है
केवल धन और करियर ही जीवन का उद्देश्य हैं?
क्या विज्ञान और आध्यात्म को एक साथ जोड़कर हम जीवन को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं?
क्या हम अपनी भौतिक उपलब्धियों के साथ-साथ आत्मा की शांति पर भी ध्यान दे रहे हैं?

महाकुंभ में उनकी उपस्थिति का महत्व
उनका यह कदम यह साबित करता है कि आध्यात्मिकता और विज्ञान एक-दूसरे के पूरक हैं। एक सफल एयरोस्पेस इंजीनियर से लेकर एक साधु तक की उनकी यात्रा इस बात का प्रमाण है कि जीवन की सच्ची गहराई को समझने के लिए केवल बाहरी उपलब्धियां पर्याप्त नहीं हैं।

महाकुंभ, जो कि आस्था और संस्कृति का सबसे बड़ा मंच है, में इंजीनियर बाबा की उपस्थिति यह दर्शाती है कि आध्यात्मिकता आज भी प्रासंगिक है। चाहे आप कितने भी शिक्षित या आधुनिक क्यों न हों, जीवन का अंतिम सत्य केवल आत्मज्ञान में ही पाया जा सकता है।

इंजीनियर बाबा की असाधारण यात्रा जीवन का एक नया दृष्टिकोण प्रदान करती है। उन्होंने दिखाया है कि सफलता केवल भौतिक सुखों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मा की खोज और शांति में निहित है।
उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि भले ही हमारे पास सब कुछ हो, अगर आत्मा शांत नहीं है, तो वह सब व्यर्थ है। महाकुंभ में उनकी उपस्थिति हमें यह याद दिलाती है कि आध्यात्मिकता केवल सनातन परंपरा का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह आधुनिक जीवन के लिए भी उतनी ही प्रासंगिक है।
इंजीनियर बाबा की कहानी हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम भी अपने भीतर झांकने और अपने जीवन का गहरा अर्थ समझने के लिए तैयार हैं?

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